फासले
नजदिकियां है तो दुनिया आबाद है,
इस ताकत से रूबरू होना होगा,
यही सबसे बड़ी इबादत है,
हमेशा आगे बढ़ने में इसकी महक से,
महका करो।
उम्मीदों पर खरा उतरने में,
वक्त मत जाया करो।
सम्भालकर चलने वाले अक्सर धोखा खाते हैं,
बिंदास किरदार में,
यह फ़लसफ़ा कहां है,
अक्सर बढ़ते हुए ही नजर आते हैं।
फासले को पाटने में वक्त लग जाता है,
उम्मीद है तो फिर भी,
लोगों को इस तरह से,
समझाया नहीं जाता है।
फासले पर अहसास कहां ठहरती है,
जो कुछ कहो,
सबकुछ सच ही समझती है।
नज़रों से देखा जाए तो,
यही जिंदगी की सबसे बड़ी इबादत है।
आगे बढ़ने की हम कह सकते सियासत है।
नई रीति रिवाज से,
कोई नयी सियासी ताकत पैदा नहीं की जा सकती है,
लम्बी कतार में,
खड़े होकर इंतजार करने की,
जुर्रत नज़र नहीं दिखाई देती है।
इस दरम्यान हमें,
औरों को लेकर चलने की कोशिश करनी चाहिए,
आगे बढ़ने में,
उम्मीद बनाएं रखने में हमेशा,
हालात ख़राब होने पर भी,
हमें बेहतर विकल्प की,
ख़ोज में लगा रहना चाहिए।
फासले बढ़े नहीं इल्म पैदा करो,
हमेशा आगे बढ़ने की कोशिश में,
भागदौड़ मत किया करो।
— डॉ. अशोक, पटना