प्रेम
प्रेम करके
प्रेम में रहकर
प्रेम की
चाह रखना
बुरी बात तो नहीं…….
दिल पर
हाथ रखकर
“तुम्हें”
जिंदगी कहना
अधूरी बात तो नहीं…….
जैसे
जकड़े गए थे
राम और लक्ष्मण
नागपाश में,
वैसे
जकड़ा गया मैं
आँखों के जाल
खास में,
जो समझ न आये
मृग को
“मैं”
वो कस्तूरी बात तो नहीं…….
“विकास” बनकर सर्प
लिपटना चाहे
तुझसे
समझ तुझे
पेड़ चंदन का,
ना जाने
कब आएगा
अवसर
जिंदगी में
उस ईश्वर के
वंदन का,
क्या ही कहूँ
हालात ऐसे हैं
लगता है कि
तेरे सिवा
कोई जरूरी बात तो नहीं…….
— डॉ. विकास