डमरू छंद
चटक-मटक पथ सरपट मत चल,
बदलत समय करत पल-पल छल।
छल,बल,कपट,झपट,मद, मगहर,
करत धरत सब रब, कर करतल।
करतल बजत करत जग नरतन,
जनम-जनम मठ बदलत, जस फल।
फल पर नजर रखत हम जन-जन,
पर नर सफल,धरत जब जल तल।
— सुरेश मिश्र
चटक-मटक पथ सरपट मत चल,
बदलत समय करत पल-पल छल।
छल,बल,कपट,झपट,मद, मगहर,
करत धरत सब रब, कर करतल।
करतल बजत करत जग नरतन,
जनम-जनम मठ बदलत, जस फल।
फल पर नजर रखत हम जन-जन,
पर नर सफल,धरत जब जल तल।
— सुरेश मिश्र