लघुकथा – पति नहीं राष्ट्रपति
राघव अपनी पुत्री ऋचा के युवा होने पर उसके लिए एक उपयुक्त वर की तलाश कर रहा था। उसने कई – कई वर ढूंढें। लेकिन ऋचा थी कि उसे अपने पिता का किया कोई वर पसंद ही नहीं आ रहा था। एक दिन बहुत खीझकर राघव ने ऋचा से कहा -“तुम मुझे यह तो बताओ कि तुम्हें कैसा पति चाहिए”? ऋचा ने राघव से कहा – मेरा पति ऐसा होना चाहिए जो सदा मेरे कहने में रहे। मैं कहूं – उठ जाओ तो वह उठ खड़ा हो। मैं कहूं – बैठ जाओ तो वह बिना हील हुज्जत किए बैठ जाये। राघव सोच में पड़ गया और अंत में झल्लाकर ऋचा से बोला – ‘बेटी, तुम्हें पति नहीं राष्ट्रपति चाहिए।’
— वाई. वेद प्रकाश