दिल चाहे आसमान में उड़ना
मिल जाती है जब किसी को बहुत खुशी
उम्र बीत गई थी जिसको रहता था दुखी
दिल चाहे उड़ना आसमान में उसका
भावनाएं आ जाती हैं बाहर जो दिल में थी छुपी
अचानक से कोई मिल जाये अपना
लगता है जैसे देख रहे कोई सपना
जिसकी कृपा से वह आ गया सामने
नाम उसका चाहता है मन श्रद्धा से जपना
वर्षों बाद किसी की हो जाये पूरी मुराद
हो गया था जिसका जीवन में सब बर्बाद
जी रहा था करके अच्छे दिनों की याद
मुक्ति मिली चिंता से अब हुआ आज़ाद
गले लगाता घूम घूम कर सबको
कहता है सब को ही अपना
पूरी हुई जो आस अब मेरी
हकीकत है या कोई सपना
— रवींद्र कुमार शर्मा