धनतेरस,भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे ,
धनतेरस का महत्व हिंदू धर्म में बहुत उच्च माना जाता है, दिवाली से 2 दिन पहले मनाया जाने वाले इस पर्व को धनत्रयोदशी भी कहते हैं । इस दिन भगवान धनवंतरी की पूजा की जाती है और प्रदोष काल में यम के नाम से दीपदान किया जाता है । धनतेरस के दिन सोना , चांदी , बर्तन , भूमि खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है ।
कार्तिक माह ( पूर्णिमान्त ) की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र – मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे , इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है । भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है ।शास्त्रों के अनुसार धनतेरस में भगवान धनवंतरी की पूजा से इस सृष्टि में सुख और समृद्धि प्राप्त होती है,
भगवान धन्वन्तरि आयुर्वेद प्रवर्तक हैं । हिन्दू धर्म अनुसार ये भगवान विष्णु के अवतार हैं । इनका पृथ्वी लोक में अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ था । शरद पूर्णिमा को चंद्रमा , कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय , त्रयोदशी को धन्वंतरी , चतुर्दशी को काली माता और अमावस्या को भगवती महालक्ष्मी जी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ था ।भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के आदि प्रवर्तक व स्वास्थ्य के -अधिष्ठाता देवता होने से विश्व वंद्य हैं । सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु ने जगत त्राण हेतु 24 अवतार धारण किए हैं जिनमें भगवान धन्वंतरि 12 वें अंशावतार हैं अर्थात आप साक्षात् विष्णु अर्थात श्री हरि के रूप हैं । इनके प्रादुर्भाव का रोचक वृतान्त पुराणों में मिलता है ।
भगवान धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था । भगवान धन्वन्तरि चूँकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है । कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन ( वस्तु ) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है । इस अवसर पर लोग धनियाँ के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं । दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग – बगीचों में या खेतों में बोते हैं । धनतेरस के दिन चाँदी खरीदने की भी प्रथा है , जिसके सम्भव न हो पाने पर लोग चाँदी के बने बर्तन खरीदते हैं । इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है ,जो शीतलता प्रदान करता है और मन में सन्तोष रूपी धन का वास होता है । सन्तोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है । जिसके पास सन्तोष है वह स्वस्थ है , सुखी है , और वही सबसे धनवान है । भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं । उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है । लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी जी, गणेश जी, की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं ।भगवान धन्वन्तरि का जन्म मानव कल्याण के लिये
हुआ था,
— डॉ. मुश्ताक अहमद शाह सहज