गीत/नवगीत

धन्यवाद

महत्त्वपूर्ण, यह नही है, कि कौन
सदा,आपकी, हां में, हां मिलाएगा
सच्चा, हितैषी तो, वह व्यक्ति है
जो आसन्न संकट, से बचाएगा।।

जरूरी नही है, हर प्रश्न, का उत्तर
हमेशा, तत्काल ही, दिया जाए
वक्त भी, समय के, साथ-साथ
बहुत कुछ, सिखला जाए गा ।।

एक हाथ से, ताली भला
कहां बजा, करती है
दूर तक साथ, निभाना है तो
सामंजस्य ही, काम आएगा।।

सारे तीर , लक्ष्य को भेदें
ऐसा तो जरा, कम ही, होता है
अन्त तक जो, हार न माने
अन्ततः तो वही, जीत पाएगा ।।

वक्त का पहिया,अति तीव्र गति से
अनवरत चलता, ही जा रहा है
अब भी गर हम,गफलत में रहे तो
यह तय है कि,बाद में पछताएगा

जीवन में थोड़ी, उठा-पटक तो
चलती है, और, चलती, ही रहेंगी
इनमें ही गर, उलझे रहे तो
बड़े-बड़े काम कब, कर पाएगा।।

ईश्वर ने बहुत, सोचकर, सबको
यह, मानव का ,चोला पहनाया है
कमियां ही, ढूंढने में, लगे रहे जो
तो खुद को कब ,पहचान पाएगा।

इतना कुछ, जो दिया है, उसने
एक धन्यवाद, हम उसे, भी दे दें
और कुछ, चाहे, हो या, न हो
आनंद, उर में, समा जाएगा।।

और कुछ चाहे, हो या न हो
आनंद, उर में, समा जाएगा।।

नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई