मुश्किल वक्त की मददगार
दीए जलाकर खुशियां बांटने,
हरेक पड़ाव पर,
हमें एक शखिसियत नज़र आतीं हैं।
इसे रब की मेहरबानियां समझें,
या कुछ और,
मां की दुआओं से निकली हुई आवाज ही,
हमेशा सुनाई देती है।
कुछ हासिल करने में,
बड़ा वक्त लगता है।
समन्दर पार करने वाले लोगों को,
इस इल्म का नाम,
मन में बना रहता है।
यही रब की सबसे खूबसूरत उपहार है,
मां की दुआओं से,
सारा संसार गुलजार है।
इस संस्कार में शामिल,
हरेक लम्हे जो अक्सर लोग भूल जाते हैं।
मां की ताक़त से,
मुलाकात हुई तो,
बस हर परेशानियां,
भाग जाते हैं।
जरा आज़मा कर देख तो ले दुनिया,
क्या कोई उम्मीद कर सकेगा कभी यहां।
मां ही मंदिर है,
मां ही शिवाला,
मां ही जन्नत है,
मां ही रखवाली बनकर करती है,
अपने बच्चों की हिफाजत,
नहीं है दुनिया में,
इससे बेहतर रखवाला।
हमदर्द तो दुनिया में,
बनते दिखते हैं लोग यहां।
मुश्किल वक्त में,
ग़ायब हो जाते हैं,
कौन सामने आते हैं क्या भला तब,
साथ देने को वहां।
उम्मीद और सपने को साकार करने में,
मां ही एक मात्र,
सहारा है।
खुशियां अपार देती है,
जीवन्त रूप में,
सबके सामने खड़ी,
एक उम्दा नजारा है।
उम्मीद है,
सपनों को पंख देने वाली,
ताक़त है।
हमेशा याद रखना चाहिए,
यही वजह है कि सब लोग कहते हैं,
मां ही मंदिर है,
मां ही इबादत है।
— डॉ. अशोक, पटना