गीत/नवगीत

चंदा के बिन, नहीं चाँदनी

संग-साथ बिन नहीं है जीवन, मैं-मैं मिल कर हम बनते हैं।
चंदा के बिन, नहीं चाँदनी, चाँदनी से ही चाँद नित सजते हैं।।
पुरुष और प्रकृति मिलकर।
राग और विराग से सिलकर।
सुगंध जगत को देते हैं मिल,
कमल के साथ कमलिनी खिलकर।
पथ के बिन कोई पथिक हो कैसे? पथिक से ही, पथ बनते हैं।
चंदा के बिन, नहीं चाँदनी, चाँदनी से ही चाँद नित सजते हैं।।
साध्य और साधन मिलकर।
मेघ आते हैं, हिल-मिलकर।
साधक बिन, साधना कैसी?
नदी पूर्ण सागर से मिलकर।
अकेला वर्ण कोई अर्थ न देता, मिलकर अर्थ निकलते हैं।
चंदा के बिन, नहीं चाँदनी, चाँदनी से, चाँद नित सजते हैं।।
एक के बिन, अस्तित्व न दूजा।
नर बिन, नारी करे न पूजा।
पंच तत्व के मिलने से ही,
जन्म लेता है जग में चूजा।
राष्ट्रप्रेमी मिलकर ही राष्ट्र है, अलगाव से, राष्ट्र बिखरते हैं।
चंदा के बिन, नहीं चाँदनी, चाँदनी से, चाँद नित सजते हैं।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)