आती है हर साल दीवाली
त्रेता की पावन स्मृति की जग को बोध कराने वाली
रावण वध के बाद राम की जय गाथा दुहराने वाली
जन जन के उल्लास अयोध्या में उत्सव की अमर कथा की
सकल विश्व को याद दिलाने आती है हर साल दीवाली
माना है त्यौहार ख़ुशी का पर हमको यह समझ न आता
दीप दियाळी छोड़ देश क्यो आयातित झालर लगवाता
बन्धु स्वदेसी अपनाने से विकसित होगी अर्थ व्यवस्था
उस कुम्हार का पेट भरेगा जो मेहनत कर दिये बनाता
दीपक जले स्वदेशी पनपे तब होगी असली खुशहाली
त्रेता की पावन स्मृति की जग को बोध कराने वाली
जागो भारत माँ के बेटो पहचानो आर्धिक आज़ादी
संकल्पित हो बनो स्वदेशी अपना लो भारत की खादी
करो बहिष्कृत माल विदेशी अपनों को भी रोज़गार दो
पराधीन सपनेउ सुख नाहीं बतला गईं सभी को दादी
सब सामान स्वदेशी पाकर चहक उठे पूजा की थाली
त्रेता की पावन स्मृति की जग को बोध कराने वाली
— डॉक्टर इंजीनियर मनोज श्रीवास्तव