कविता

नवरात्रि विशेष – असली पूजा

आप सभी माँ भक्तों को
बहुत बहुत बधाइयां शुभकामनाएं,
सुख शान्ति, समृद्ध और स्वास्थ्य का उपहार पाएँ,
नाचें-गाएँ, खुशियों का संसार सजाएँ।
पर माँ का भी कुछ मान बढ़ाएँ
माँ की पूजा आराधना का
सिर्फ न औपचारिकता निभाएंँ,
पूरी ईमानदारी से माँ के चरणों में शीश झुकाएँ,
अपनी संवेदनाएं घोलकर न पी जाएँ
नैतिक मूल्यों के पथ से न भटकें,
घर, परिवार, समाज के प्रति भी
वास्तव में अपनी जिम्मेदारी निभाएँ।
ईर्ष्या, द्वेष, निंदा नफ़रत मन से मिटाएँ
स्वार्थ के आसमान से अब नीचे उतर आएँ।
निज के लिए ही जीने के सपनें न सजाएं
जगत जननी माता से सिर्फ अपने लिए ही
धन दौलत, स्वास्थ्य समृद्धि की माँग न करें।
ये संसार भी आपका है
इसका हर प्राणी आपका परिवार है,
इसलिए सबके सुख समृद्धि की कामना करें
चाहें तो माँ से इसके लिए जिद भी करें,
पर अपने से अधिक समूचे संसार के
हितार्थ कल्याण की कामना करें।
बस! इतना भर करके देखिए
माँ आपका ही नहीं जगत का कल्याण करेंगी
सुख समृद्धि से आपकी ही नहीं
हर किसी की झोली भरेंगी।
तब ही माता के पूजा आराधना की सार्थकता होगी
नवरात्रि पर्व और माँ की महिमा बढ़ेगी,
माँ अपने भक्तों का निश्चित ही कल्याण करेंगी
सुख, समृद्धि, खुशियों से सबकी झोली भरेंगी
और बहुत बहुत बहुत प्रसन्न होंगी,
तब माँ के जयकारे भी और मोहक लगेंगे
चहुँदिश हर्षोल्लास में जब
जय माता दी जय माता दी के जयकारे गूँजेंगे,
माँ के दरबार सजेंगे, गुणगान होंगे
भजन, कीर्तन, जागरण होंगे,
माँ की चौकियाँ सजेंगी
यही नवरात्रि पर्व में माँ की असली पूजा होगी।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921