कविता

कैसी विडम्बना है ?

बस योजना बनाने की,
होड़ है,
नहीं रूक रहा यह शोर है,
गरीब बेबस है बेखबर,
नहीं हो रहा है,
किसी में कोई असर,
इस इल्म को हासिल कर,
सब आज़ भी हैं,
खोजते हुए खुशियों का शहर।

क्या किसी ने कोई,
बड़ी बाते की हैं,
नज़र अन्दाज़ करना तो,
उन लोगों की नज़र में बस ठीक है।
ग़रीबी बेब्स जिंदगी पर,
कौन सोचता है,
राजनीतिक भागीदारी तय है,
कहां उपेक्षित कुछ सोचता है।

राजनीतिक हथकंडे अपनाए जा रहे हैं,
छोटी सी दुनिया ही,
खुशियां आज़मा रहे हैं।
उपेक्षित वर्ग से ताल्लुक रखने वाले,
क्यों आज़ गांव-गांव में,
घुमने आ रहें हैं।

अब तो बस वोट खरीदें जाएंगे,
बड़ी सी उम्मीद,
बताकर उसे भरमाएंगे।
फिर चुनाव हुआ,
फिर पांच साल तक गुम हुआ।

कौन पूछता है कि,
अब हाल क्या है,
बस बड़ी बड़ी गाड़ियों में सवार होकर,
घुमते रहना ही,
चाह बन गया है।
छोटी छोटी योजनाएं बनाई जा रही है,
भूखमरी और तमाम तरह की झंझावात मन में,
समाई जा रही है।
कोई हमदर्दी नहीं दिखाते है लोग अब,
उन्हें तो पांच वर्षों बाद ही,
गांव और कस्बों में आना है,
लम्बी पहर के बीत जाने पर।

— डॉ. अशोक, पटना

डॉ. अशोक कुमार शर्मा

पिता: स्व ० यू ०आर० शर्मा माता: स्व ० सहोदर देवी जन्म तिथि: ०७.०५.१९६० जन्मस्थान: जमशेदपुर शिक्षा: पीएचडी सम्प्रति: सेवानिवृत्त पदाधिकारी प्रकाशित कृतियां: क्षितिज - लघुकथा संग्रह, गुलदस्ता - लघुकथा संग्रह, गुलमोहर - लघुकथा संग्रह, शेफालिका - लघुकथा संग्रह, रजनीगंधा - लघुकथा संग्रह कालमेघ - लघुकथा संग्रह कुमुदिनी - लघुकथा संग्रह [ अन्तिम चरण में ] पक्षियों की एकता की शक्ति - बाल कहानी, चिंटू लोमड़ी की चालाकी - बाल कहानी, रियान कौआ की झूठी चाल - बाल कहानी, खरगोश की बुद्धिमत्ता ने शेर को सीख दी , बाल लघुकथाएं, सम्मान और पुरस्कार: काव्य गौरव सम्मान, साहित्य सेवा सम्मान, कविवर गोपाल सिंह नेपाली काव्य शिरोमणि अवार्ड, पत्राचार सम्पूर्ण: ४०१, ओम् निलय एपार्टमेंट, खेतान लेन, वेस्ट बोरिंग केनाल रोड, पटना -८००००१, बिहार। दूरभाष: ०६१२-२५५७३४७ ९००६२३८७७७ ईमेल - [email protected]

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