क्या फर्क है ?
कामयाबी का फर्क ही हमें कुछ सिखाती है,
बदहाली खत्म करने की हिम्मत दिखाती है।
सुकून देने वाली ताकत बनकर रहना चाहिए,
यही जिंदगी की अक्ल आई नज़र आती है।
दौड़कर आगे बढ़ते हुए क़दम ही कामयाबी का रस्म है,
मुझे सुकून देने वाली ताकत में इजाफा ही खुशियां दे जाती है।
ख्वाहिशों को कैसे कम करें यह इल्म हासिल करनी होगी,
बेहतरी की खुशबू जमीं पर पहुंचने पर ही नसीब हो पाती है।
अपनी हिफाजत ख़ुद को ख़ुद से ही करनी चाहिए यहां,
जालिम दुनिया से हारकर भी लोगों वज़ह समझ नहीं आती है।
दोस्ती और प्यार से सराबोर हो कर रहनी चाहिए यहां,
मुश्किल वक्त में ही इसकी वजह सामने नज़र आती है।
खुशियां अपार मिले तो भी इस बात से यकीन नहीं होनी चाहिए यहां,
इसकी सोहबत में रहना है या नहीं, सबकुछ वक्त ही हमे बताती है।
इस जालिम दुनिया से डरकर ही रहनी चाहिए यहां,
तमाम हसरतें पूरी करने में यह काफी वक्त लगाती है।
काबिलियत और खुशियों को बांटना ही जिंदगी की सबसे बड़ी इबादत है,
समझने और समझाने पर ही सही इल्म की वजह सामने नज़र आती है।
मुश्किल वक्त आने में देर नहीं लगती है यहां,
सम्भल कर जीना ही वक्त हमें अक्सर सिखाती है।
औरों की कमियां निकालने की कोशिश ठीक नहीं है,
अपनी खामियां अक्सर खुद को नज़र नहीं आती है।
— डॉ. अशोक, पटना