कविता

प्रभात सूर्य वंदन

प्रभा के पुंज, लोक प्रकाशक,
दीप्ति मूर्ति रवि को मेरा प्रणाम है ।
महातेजस्वी, सुवर्ण सदृश रश्मिमान,
अरुण, आदित्य को मेरा प्रणाम है ।

सप्त अश्वरथ सुशोभित, करुणा निधि,
विकर्तन, ईशान, भानु को मेरा प्रणाम है ।
सर्वत्र वंदनीय, नित्यानंद, आत्मा रूपी,
मित्र स्वरूप भास्कर को मेरा प्रणाम है ।

आर्त रक्षक, आदि भूत, विश्व रूप,
अनंत, जगदीश्वर को मेरा प्रणाम है ।
ऐश्वर्य प्रदायी, आरोग्य दाता ,भक्तवश्य,
परमात्मन् सूर्य देव को मेरा प्रणाम है ।

त्रिलोकेश, गृहेश्वर, दातार, दया सिंधु,
खगाय, दिवाकर को मेरा प्रणाम है ।
मार्तंड, अक्षत, प्रेम पुंज, लोकचक्षु,
ऊंकार दिनकर को मेरा प्रणाम है ।

— मोनिका डागा “आनंद”

मोनिका डागा 'आनंद'

चेन्नई, तमिलनाडु

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