हास्य व्यंग्य

खट्टा-मीठा : समोसा सुरक्षा बल

आजकल हमारा देश गम्भीर सुरक्षा संकट से गुजर रहा है। सीमाओं की सुरक्षा से भी अधिक समोसों की सुरक्षा की आवश्यकता अनुभव की जा रही है। इसके लिए सीमा सुरक्षा बल की तर्ज़ पर “समोसा सुरक्षा बल” का गठन करने पर गम्भीरता से विचार किया जा रहा है।

इस आवश्यकता का अनुभव तब किया गया, जब सीमावर्ती राज्य हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुक्खड़ के लिए एक पंचतारा होटल को समोसों का आदेश दिया गया था। समोसे आये भी, परन्तु पता नहीं कब और कैसे वे समोसे बीच में ही किसी भुक्खड़ (या भुक्खडों) ने ग़ायब कर दिये। बेचारे सुक्खड़ समोसे के बिना सूखी चाय पीकर ही रह गये।

सभी सरकारी अधिकारी हैरान हैं कि तमाम सीसीटीवी कैमरों की आँखों के सामने (या नाक के नीचे) से वे समोसे कहाँ अन्तर्धान हो गये। इसकी जाँच के लिए उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसमें देश-प्रदेश के नामी जासूसों को शामिल किया गया है। यही नहीं, उनकी सहायता के लिए सूँघकर पता लगानेवाले प्रशिक्षित कुत्तों को भी लगाया गया है, लेकिन अफ़सोस कि अभी तक उन समोसों का कोई सुराग नहीं मिला है। इसलिए अब सीबीआई ही नहीं, स्काटलैंड यार्ड की सेवाएँ लेने पर भी विचार किया जा रहा है।

इसी पृष्ठभूमि में “समोसा सुरक्षा बल” के गठन की आवश्यकता अनुभव की जा रही है। उसका काम होगा — होटल के किचन से खाने-पीने की मेज़ तक आने के मार्ग में समोसों की पूरी सुरक्षा करना। यही नहीं एक उच्च अधिकारी ने जलेबी की फ़ैक्ट्री की तर्ज़ पर समोसों की सरकारी फ़ैक्ट्री लगाने का प्रस्ताव भी रखा है, जिससे लाखों लोगों को रोज़गार मिलेगा। आलू से सोना बनाने की मशीन के आविष्कारक महान् वैज्ञानिक पप्पू जी से अनुरोध किया गया है कि वे आलू-मैदा से समोसा बनाने की मशीन का भी आविष्कार करें, जिनसे लाखों लोगों को रोज़गार मिलेगा और ग़रीबी दूर होगी। पप्पू जी ने इस पर कार्य करने का आश्वासन दिया है।

— बीजू ब्रजवासी

कार्तिक शु. ८, सं. २०८१ वि. (९ नवम्बर, २०२४)

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