जीवन पथ का हूं मुसाफिर
जीवन पथ का हूं मुसाफिर,लक्ष्य मेरी मंज़िल है।
मौत आ जाने से पहले, लक्ष्य करना हासिल है।
सुगम नहीं पथ जीवन का, राह है कंटक भरी।
चलना दृढ़ संकल्प मेरा, चाहे घनेरी विभावरी।
हिम्मत और उमंग हो तो ,काम नहीं मुश्किल है।
जीवन पथ का हूं मुसाफिर,लक्ष्य मेरी मंज़िल है।
रखूं भरोसा सदा ईश पर, आस्था में विश्वास हो।
कर्म नेकी का करूं, फिर क्यों मन निराश हो।
इंद्रियां की बस में मैंने, नहीं भ्रमित यह दिल है।
जीवन पथ का हूं मुसाफिर,लक्ष्य मेरी मंज़िल है।
सोच सुथरी मन में हो , फिर निंदा से क्या डरना।
निंदक का तो काम यही है,पल पल निंदा करना।
डर गया विसंगथ बातों से ,वो इंसान बुजदिल है।
जीवन पथ का हूं मुसाफिर, लक्ष्य मेरी मंज़िल है।
गिर कर जो उठ गया, वो लक्ष्य को पा जाता है।
हकीकत इसे मानिये, बड़ों का तजुर्बा कहता है।
जो पैरों से जो रौंद चले राह होती नहीं जटिल है।
जीवन पथ का हूं मुसाफिर, लक्ष्य मेरी मंज़िल है।
— शिव सन्याल