गीत/नवगीत

जीवन पथ का हूं मुसाफिर

जीवन पथ का हूं मुसाफिर,लक्ष्य मेरी मंज़िल है।
मौत आ जाने से पहले, लक्ष्य करना हासिल‌ है।
सुगम नहीं पथ जीवन का, राह‌ है कंटक भरी।
चलना दृढ़ संकल्प मेरा, चाहे घनेरी विभावरी।
हिम्मत और उमंग हो तो ,काम नहीं मुश्किल है।
जीवन पथ का हूं मुसाफिर,लक्ष्य मेरी मंज़िल है।
रखूं भरोसा सदा ईश पर, आस्था में विश्वास हो।
कर्म नेकी का करूं, फिर क्यों मन निराश हो।
इंद्रियां की बस में मैंने, नहीं भ्रमित यह दिल है।
जीवन पथ का हूं मुसाफिर,लक्ष्य मेरी मंज़िल है।
सोच सुथरी मन में हो , फिर निंदा से क्या डरना।
निंदक का तो काम यही है,पल पल निंदा करना।
डर गया विसंगथ बातों से ,वो इंसान बुजदिल है।
जीवन पथ का हूं मुसाफिर, लक्ष्य मेरी मंज़िल है।
गिर कर जो उठ गया, वो लक्ष्य को पा जाता है।
हकीकत इसे मानिये, बड़ों का तजुर्बा कहता है।
जो पैरों से जो रौंद चले राह होती नहीं जटिल है।
जीवन पथ का हूं मुसाफिर, लक्ष्य मेरी मंज़िल है।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995

Leave a Reply