कविता

सच को राह

धुंधले थे रास्ते मगर अब
धीरे-धीरे साफ़ दिखने लगे हैं
असमंजस में रखे थे कदम
अब विश्वास के साथ बढ़ने लगे हैं
सच को राह मिल जाती है
झूठ दूर तक कहां चल पाता है
रात गहरा अंधेरा लिए आता तो है
मगर सुबह होने से कहां रोक पाता है
मीठी बातों से कोई कितना बहलाए
कड़वाहट ज़हर नही होती
ये सच खुद ही बता जाता है
एक हाथ मिलाए कोई
तो पीछे खंजर छुपाए होता है
पर कोई तो साथ है
जो हर बार मुझे बचा जाता है!

— सविता दास सवि

सविता दास सवि

पता- लाचित चौक सेन्ट्रल जेल के पास डाक-तेजपुर जिला- शोणितपुर असम 784001 मोबाईल 9435631938 शैक्षिक योग्यता- बी.ए (दर्शनशास्त्र) एम.ए (हिंदी) डी. एल.एड कार्य- सरकारी विद्यालय में अध्यापिका। लेखन विधा- कविता, आलेख, लघुकथा, कहानी,हाइकू इत्यादि।

Leave a Reply