लघुकथा

छर्रा!

“चमन भाई, जरा अपने अंतर्मन को शुद्ध रखो, वरना…”
“वरना क्या?”
“वरना क्या होगा?” पलक चुप रही, तो फिर भाई ने पूछा.
“वरना रिश्ते…बाकी ये चिट पढ़ लेना…” पलक ने एक चिट पकड़ाकर कमरे में जाते हुए कहा-
चमन ने चिट देखी, लिखा था-
“समुद्र में सुनामी आ जाए तो दुनिया थर्रा जाती है,
तन में सुनामी आ जाए तो तबियत भर्रा जाती है,
जागरूक रहना अत्यंत आवश्यक है अन्यथा,
मन में सुनामी आ जाए तो जिंदगी छर्रा बन जाती है।”
पलक का यह संदेश पढ़कर चमन सकते में आ गया, मन के कारण रिश्ते तो सारे पहले ही टूट-छूट गए थे, बाकी मन!
“अगर मन भी छर्रा बन गया तो!”
उसने एक चिट लिखकर पलक को दी, जिसमें लिखा था-
“सॉरी दीदी, समझ गया.”

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

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