तुम हो हमारे, हम हैं तुम्हारे
तुम्हारी याद की खुशबू ,
रहती हरदम साथ हमारे,
कहाती कोयल सम कुहुक कर,
तुम हो हमारे, हम हैं तुम्हारे।
चुपके से मन को महकाती,
कभी उलझाती कभी बहकाती,
मूरत बन रहती आंखों में,
तितली बन पल में उड़ जाती।
बनाती आसमां अपना बल खाती,
बनाती सूरज अपना रोशनी छितराती,
पूछती राज़ फूलों से खुशबू का
पंख पसार आत्मिक आभारा जतलाती।
रहने दो खुशबू को साथ हमारे,
निगाहें भटकने न पाएंगी,
महक से महकेगी सुभग सृष्टि,
राहें खुद ही राह दिखाएंगी।
— लीला तिवानी