कविता

तुम हो हमारे, हम हैं तुम्हारे

तुम्हारी याद की खुशबू ,
रहती हरदम साथ हमारे,
कहाती कोयल सम कुहुक कर,
तुम हो हमारे, हम हैं तुम्हारे।

चुपके से मन को महकाती,
कभी उलझाती कभी बहकाती,
मूरत बन रहती आंखों में,
तितली बन पल में उड़ जाती।

बनाती आसमां अपना बल खाती,
बनाती सूरज अपना रोशनी छितराती,
पूछती राज़ फूलों से खुशबू का
पंख पसार आत्मिक आभारा जतलाती।

रहने दो खुशबू को साथ हमारे,
निगाहें भटकने न पाएंगी,
महक से महकेगी सुभग सृष्टि,
राहें खुद ही राह दिखाएंगी।

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

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