मुक्तक
कहाँ वो चैनो-सुकून कहाँ वो कारवां,
कहाँ वो वादियां कहाँ वो रहगुज़र,
जहाँ किया था मुहब्बत का इज़हार हमने,
आज फिर रहा तेरा दीवाना दर बदर।
— लीला तिवानी
कहाँ वो चैनो-सुकून कहाँ वो कारवां,
कहाँ वो वादियां कहाँ वो रहगुज़र,
जहाँ किया था मुहब्बत का इज़हार हमने,
आज फिर रहा तेरा दीवाना दर बदर।
— लीला तिवानी