हमेशा साथ रहती है
ललक कुछ करते रहने की,
हमेशा साथ रहती है,
फ़लक तक पहुंचोगे तब ही,
ये अक्सर कहती रहती है।
प्रवाहित हो सतत सरिता,
तभी निर्मल वो रहती है,
सांस दे सकती दुनिया को,
हवा ‘गर बहती रहती है।
नसीहत एक अच्छी से,
जीवन-धार संवर सकती,
नसीहल गलत मिल जाए,
जिम्दगी भार हो सकती।
दुआ पितु-मात-गुरुजन की,
हमेशा साथ रहती है,
परवाह हित-चिंतकों की,
हमेशा साथ रहती है।
— लीला तिवानी