सामाजिक

वृद्धावस्था में जीवन

वृद्धावस्था में कई विचार सताते हैं जो जीवन को मुश्किल बना सकते हैं। कुछ प्रमुख चिंताएं इस प्रकार हैं,,,शारीरिक चिंताएं। शारीरिक कमजोरी और बीमारियाँ,दर्द और पीड़ा,गतिशीलता में कमी,सुनने और देखने की क्षमता में कमी। मानसिक चिंताएं,अकेलापन और अलगाव। याददाश्त की कमी,अवसाद और तनाव, आत्म-संदेह और असुरक्षा,बीते पलों की यादें और नॉस्टैल्जिया। भावनात्मक चिंताएं,,, परिवार और मित्रों से दूरी,अपनों की अनुपस्थिति,जीवन के उद्देश्य की कमी,मृत्यु की चिंता,अतीत की गलतियों का पछतावा। आर्थिक चिंताएं,, आर्थिक सुरक्षा की कमी,चिकित्सा खर्च,पेंशन और सामाजिक सुरक्षा।आर्थिक निर्भरता। समाजिक चिंताएं,, समाज से अलगाव,सम्मान की कमी,सामाजिक समर्थन की कमी,नई पीढ़ी की अपेक्षाएं।
वृद्धावस्था में इन चिंताओं से निपटने के लिए, परिवार और मित्रों के साथ संबंध बनाए रखें।सामाजिक गतिविधियों में भाग लें। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें। हॉबी और रुचिकर गतिविधियों में समय बिताएं। पेशेवर सलाह और समर्थन लें। आत्म-साक्षरता और आत्म-मूल्यांकन करें। जीवन के अनुभवों को साझा करें। जीवन के अंतिम पल भी सार्थक और यादगार बनाए जा सकते हैं। परिवार और मित्रों के साथ समय बिताएं।अनुभवों को साझा करें और कहानियाँ सुनाएं। अपने जीवन की उपलब्धियों को याद करें।शांति और आत्मशांति के लिए ध्यान और प्रार्थना करें।
स्मृतियों को संजोने के लिए,, फोटो एल्बम बनाएं,वीडियो रिकॉर्डिंग करें। डायरी या पत्र लिखें,परिवार के इतिहास को दस्तावेज़ करें। मानसिक शांति के लिए आत्म-साक्षरता करें, मृत्यु के बारे में खुलकर बात करें,अपने जीवन के उद्देश्य को पूरा करने का प्रयास करें,आध्यात्मिक मार्गदर्शन लें। परिवार और मित्रों का साथ लें,पेशेवर काउंसलिंग लें,सामाजिक सेवा संगठनों से जुड़ें।धार्मिक और आध्यात्मिक संस्थाओं से समर्थन लें।
मृत्यु के बाद की व्यवस्था बनाना बेहतर होगा। वसीयत बनाएं,अपनी इच्छाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करें,परिवार के लिए आर्थिक सुरक्षा की व्यवस्था करें,अंतिम संस्कार की व्यवस्था के बारे में भी चर्चा कर सकते हैं, मृत्यु निश्चित है,उससे डरना कैसा,जीवन के अंतिम पलों में शांति, संतुष्टि और प्रेम की अनुभूति हो सकती है, यदि हम इसके लिए तैयार रहते हैं।
वृद्धावस्था को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें , प्रेरणादायक विचार से आने वाली पीढ़ी का अवगत करवाएं। जीवन की अनुभव संपदा अनमोल होती है। वृद्धावस्था जीवन की अनुभव संपदा है, जिसमें आप अपने अनुभवों को साझा कर सकते हैं। यह चरण जीवन की वास्तविक मूल्यों को समझने का अवसर प्रदान करता है। अपने जीवन की यात्रा को गर्व से याद करें और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करें। सकारात्मकता और खुशी से खुद को ओत प्रोत रखें। वृद्धावस्था में भी जीवन खूबसूरत हो सकता है, बस सकारात्मकता और आशावाद के साथ जीना होगा,प्रत्येक दिन को एक नई खुशी के अवसर के रूप में देखें,अपने शौक और रुचियों को जीवित रखें,वृद्धावस्था में आत्म-मूल्यांकन करें और अपनी उपलब्धियों पर गर्व करें।
अपने जीवन की गलतियों से सीखें और उन्हें अनुभव के रूप में स्वीकारें,आत्म-साक्षरता के माध्यम से अपने जीवन को अर्थपूर्ण बनाएं। सामाजिक और पारिवारिक संबंधों का आकलन करें।परिवार और मित्रों के साथ संबंधों को मजबूत बनाए रखें,समाज में सक्रिय भागीदारी निभाएं,अपने अनुभवों को युवा पीढ़ी के साथ साझा करें। मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गौर करें। नियमित व्यायाम और स्वस्थ आहार के माध्यम से शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखें,मानसिक स्वास्थ्य के लिए ध्यान, योग और प्राणायाम का अभ्यास करें,आवश्यक चिकित्सा जांच और सलाह लें। प्रेरणादायक उद्धरण प्रस्तुत करने का कोई अवसर हाथव्से न जाने दें।
वृद्धावस्था जीवन की सबसे सुंदर अवस्था है, जहाँ अनुभव और ज्ञान का संगम होता है। जीवन की हर अवस्था में खुशी और संतुष्टि के अवसर होते हैं। वृद्धावस्था में भी जीवन की नई कहानियाँ लिखी जा सकती हैं। इन विचारों को अपनाकर, आप वृद्धावस्था को एक सकारात्मक और प्रेरणादायक चरण के रूप में देख सकते हैं।

— डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- [email protected] , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,