भजन/भावगीत

कृपा करो हनुमान

जीवन की हर आहुती, डाली जिसके नाम ।
वही कहे इस यज्ञ में, नहीं तुम्हारा काम ।

मेरे ही पदचिन्ह पर, चलने वाले लोग ।
सिखा रहे हैं मुझे ही, तीन – पांच का योग ।

कालनेमि चहुंओर हैं, हो कैसे पहचान ।
एक सहारा एक बल, कृपा करो हनुमान ।

— समीर द्विवेदी नितान्त

समीर द्विवेदी नितान्त

कन्नौज, उत्तर प्रदेश