कविता

अपनी मातृभाषा

हिन्दी भाषा हैं सहज, सरल, 

अन्तर्मन के भाव सुनाये।।

मीठी बोली यह खूब सरस, 

सुर लय ताल छंद मिलाये।।

अपनी भाषा का अभिमान,

हो सदा ही गौरव गुणगान।।

बोले शान से हिन्दी भाषा,

हीन भावना का न काम यहां।।

कामकाज भी हो हिन्दी में,

अपनापन छलके बोली में।।

प्यार की मिले सबको सौगात,

सुख, चैन, परमानन्द प्रभात।।

अपनी मातृभाषा, अपना वेश,

प्रिय अपनी माटी,अपना देश।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८

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