मुक्तक/दोहा

सफलता

कल की चिंता में सखा, कर मत आज निसार।

चिंता चिता समान है, चिंतन तारणहार।।

सफलता जब तक न मिले, करना सतत प्रयास।

बहता सरिता जल बने, जन जीवन की आस।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८