गीतिका/ग़ज़ल

बात इतनी सी

बात बस इतनी सी है कि कुछ भी नहीं
ये जो दुनिया है बस अपनी नहीं !

ख्वाबों की दुनिया बङी सुहानी है
लेकिन ये दुनिया अपनी तो नहीं !

बैचेन और करवट बदलती रात है अपनी
उम्मीदो की सुबह आपनी तो नहीं !

खुशकिस्मती किसे कहते है मालुम नहीं
खुशी तो बस अपने हाथ आती ही नहीं !

विषाद का रक्त फैला है नसों में इस कदर
किसी हकीम के पास इसकी कोई दवा नहीं !

कैसे कोई जिए और आगे चले
रास्ते किसी मंजिल की तरफ जाते नहीं !

— विभा कुमारी नीरजा

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P