बात इतनी सी
बात बस इतनी सी है कि कुछ भी नहीं
ये जो दुनिया है बस अपनी नहीं !
ख्वाबों की दुनिया बङी सुहानी है
लेकिन ये दुनिया अपनी तो नहीं !
बैचेन और करवट बदलती रात है अपनी
उम्मीदो की सुबह आपनी तो नहीं !
खुशकिस्मती किसे कहते है मालुम नहीं
खुशी तो बस अपने हाथ आती ही नहीं !
विषाद का रक्त फैला है नसों में इस कदर
किसी हकीम के पास इसकी कोई दवा नहीं !
कैसे कोई जिए और आगे चले
रास्ते किसी मंजिल की तरफ जाते नहीं !
— विभा कुमारी नीरजा