शुकराना किजिए
थरथराते हाथों को,
डगमगाते पांवों को,
ढलती सांझ को, सखा,
रुसवा न किजिए।।
फैला बाहों का पलना,
सजाया सौख्य झूलना,
प्यार, दुलार बिछाया,
कृतघ्न न बनिए।।
धुंधली हुई नजर,
कमजोर है शरीर,
सेवा, सुश्रुषा, आदर,
प्रेमभाव राखिए।।
जीवन के शिल्पकार,
हमारे पालनहार,
प्रभु, गुरु, मात-पिता,
शुकराना किजिए।।