कविता

क्या हैं हम और क्यों हैं?

क्या हैं हम और क्यों हैं?
क्यों नहीं जान ये पाते हैं,
खुद से मुलाकात न कर,
अहम-वहम में क्यों खो जाते हैं!

क्यों तन्मय हम हो नहीं पाते?
कहाँ सफलता का है द्वार?
प्रतीक्षा में क्यों घबराते?
सुख में खुश क्यों दुःख जब हार!

सफलता में सुख है माना,
ठोकर भी कुछ सिखला जाती,
सकारात्मकता सुकून देती,
नकारात्मकता क्यों नकारी जाती?

अपेक्षाएं क्यों बढ़ती जातीं?
उपेक्षाएं क्यों करते हैं हम?
प्रश्न अनेक अनुत्तरित हैं जब,
छोड़ें, खुश रह ठोकें खम!

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

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