क्या हैं हम और क्यों हैं?
क्या हैं हम और क्यों हैं?
क्यों नहीं जान ये पाते हैं,
खुद से मुलाकात न कर,
अहम-वहम में क्यों खो जाते हैं!
क्यों तन्मय हम हो नहीं पाते?
कहाँ सफलता का है द्वार?
प्रतीक्षा में क्यों घबराते?
सुख में खुश क्यों दुःख जब हार!
सफलता में सुख है माना,
ठोकर भी कुछ सिखला जाती,
सकारात्मकता सुकून देती,
नकारात्मकता क्यों नकारी जाती?
अपेक्षाएं क्यों बढ़ती जातीं?
उपेक्षाएं क्यों करते हैं हम?
प्रश्न अनेक अनुत्तरित हैं जब,
छोड़ें, खुश रह ठोकें खम!
— लीला तिवानी