कविता

फासले कम क्यों करें हम

दोस्ती में नस्ल देखकर,
एतबार नहीं की जाती है।
तन्हाई में अपनी पहचान खत्म करने की हिम्मत,
रास नहीं आती है।

फासले कम हुई तो दीवारों पर,
उम्मीद बढ़ी।
तरक्की का आलम ऐसा दिखा जो,
शरारतों ने हदें पार कर ही रूकी,
जिसने आसरे खत्म कर,
आगे बढ़ने में मदद की।

गलतफहमियां हमेशा पैदा कर,
लोग अक्सर रिश्ते बिगाड़ जाते हैं।
इसकी सोहबत में,
तरक्की बड़ी कोशिश करने लगती है,
इस इल्म को हासिल कर,
सब लोग हदें पार कर जाते हैं।

रिश्तों को बचाने में,
कुछ हमदर्दी जताते हैं,
उन्हें चुप करना,
अक्सर अपने समझ नहीं पाते हैं।
शहादते अक्सर कुछ दरिन्दो को,
खबरदार करती है।
सही क़दम उठाने वाले लोगों में,
बस मेहनत से निकली हुई आवाज ही,
दोस्ती और प्यार बनकर,
सामने उतरकर खड़ी हो जाती है।

उम्मीदों को जीवित रखने में,
इस इल्म का पूरा होना जरूरी है।
आगे बढ़ने की राह पर,
इस नसीहत की अत्यधिक आवश्यकता है,
हम कह सकते हैं,
यही वर्तमान की मजबूरी है।

— डॉ. अशोक, पटना

डॉ. अशोक कुमार शर्मा

पिता: स्व ० यू ०आर० शर्मा माता: स्व ० सहोदर देवी जन्म तिथि: ०७.०५.१९६० जन्मस्थान: जमशेदपुर शिक्षा: पीएचडी सम्प्रति: सेवानिवृत्त पदाधिकारी प्रकाशित कृतियां: क्षितिज - लघुकथा संग्रह, गुलदस्ता - लघुकथा संग्रह, गुलमोहर - लघुकथा संग्रह, शेफालिका - लघुकथा संग्रह, रजनीगंधा - लघुकथा संग्रह कालमेघ - लघुकथा संग्रह कुमुदिनी - लघुकथा संग्रह [ अन्तिम चरण में ] पक्षियों की एकता की शक्ति - बाल कहानी, चिंटू लोमड़ी की चालाकी - बाल कहानी, रियान कौआ की झूठी चाल - बाल कहानी, खरगोश की बुद्धिमत्ता ने शेर को सीख दी , बाल लघुकथाएं, सम्मान और पुरस्कार: काव्य गौरव सम्मान, साहित्य सेवा सम्मान, कविवर गोपाल सिंह नेपाली काव्य शिरोमणि अवार्ड, पत्राचार सम्पूर्ण: ४०१, ओम् निलय एपार्टमेंट, खेतान लेन, वेस्ट बोरिंग केनाल रोड, पटना -८००००१, बिहार। दूरभाष: ०६१२-२५५७३४७ ९००६२३८७७७ ईमेल - [email protected]

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