महफ़िल में आनेवाले
महफ़िल में आनेवाले,
लोगों को हिदायत दी गई है कि,
खुशियां और सुकून देने से,
परहेज़ न करें यहां,
रिश्तों को मजबूत बनाने में,
चली आ रही रिवायतों से,
बिल्कुल दूर रहें यहां।
यही आज़ की दुनिया की,
एक हकीकत है यहां,
मुश्किल वक्त में ही,
इसकी सोहबत रखनी जरूरी है,
यही सिखाती है हमें यहां।
इस तरंग में शामिल होने वाले,
बहुत कुछ सोचते हैं आकर यहां।
बदलते मौसम में,
इसकी बिल्कुल जरूरत नहीं है यहां।
महफ़िल सुनी हो जाती है,
नये फनकार के आने से यहां।
हमेशा आगे बढ़ने में,
हमारी पूरानी दस्तूर ही,
सबसे बड़ी वजह है यहां।
नमः आंखें ख़ुद को ख़ुद से,
देखती रही है इस जहां में यहां।
इसकी मुखालफत आज़ तक,
हुई नहीं है यहां।
समझदारी से काम करने वाले,
महफ़िल में आनेवाले लोगों से,
गुफ्तगू करने में मशगूल हो जाते हैं।
फिर क्यों दूरियां बनाकर,
आसपास हमदर्द दोस्तों से,
बनाकर आगे बढ़ जाते हैं।
हमें शराफ़त दिखानी होगी,
यही उम्मीद बनाएं रखने में,
मददगार साबित होगा।
हम कह सकते हैं कि,
इस इल्म से ही जिम्मेदारी की जरूरत,
महफूज दिखेगा।
— डॉ. अशोक, पटना