अमीरी गरीबी
गरीबी जो है वह दुख नहीं है
अमीरी जो है वह सुख नहीं है क्षमा करें,
मैं इन दोनों में थोड़ा फर्क करता हूं
आश्चर्यजनक होने का दंभ भरता हूं
गरीबी कष्ट की अवस्था है,
अभाव है जरूरतमंद चीजों की
पेट में रोटी नहीं है
ये समस्या छोटी नहीं है
शरीर पर कपड़ा नहीं है
रैली में लफड़ा नहीं है
नेताजी बन जाएंगे
गर गरीबी का नारा लगायेंगे
इनको दवा चाहिए, दवा नहीं है
शिक्षा नहीं है रिक्शा ही है
पसीने का मकसद है
जीने की जद्दोजहद
उम्मीदों को दिखाकर रहना है उन्हें
अब सुनो
गरीबी अभाव की अवस्था है,
दुख की नहीं, कष्ट की।
कष्ट जो है बिलकुल फिजिकल बात है
और दुख बिलकुल ही साइकोलॉजिकल बात है।
जब कष्ट हमारे खतम हो जाते हैं,
तब दुख शुरू होता है।
एक आदमी दुखी हो सकता है,
कष्ट उसे बिलकुल नहीं है।
उसके पास मकान अच्छा है,
खाना अच्छा है, कपड़ा अच्छा है,
सब है उसके पास, और दुखी है।
और वह कहता है, मैं बहुत परेशान हूं।
समझे आप!
— प्रवीण माटी