कुण्डली/छंद

दीप अपनी माटी के

दीप माला,पुष्पहार, 

सजाये बंदनवार,

रंगोली में रंग भर,

आँगन सजाइये।।

दीप अपनी माटी के,

प्रेम पगी संस्कृति के,

घर-द्वार उजियारा,

उत्सव मनाइये।।

होवे आदर-सत्कार,

खिले आनंद बहार,

फल, मेवा, मिठाई, 

सब-मिल खाइये।। 

मेरा भारत महान,

स्वदेशी का हो सम्मान, 

राष्ट्र प्रेम दीप ज्योति,

आलोक जगाइये।। 

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८