कविता

बेटियां

बेटियां होती हैं, प्रेम प्रीत निर्झरणी,

हरियाली हॄदय की, सूखने न दीजिए।।

सहेजे दो कुल की शोभा, लाजवंती लाडली,

बेटा-बेटी हैं समान, भेदभाव न कीजिये।।

बेटा गौरव, बेटी गरिमा, राष्ट्र जन गण की,

पांखें फैला छू ले आसमान, हौसला दीजिए।।

ऊँची ऊँची भरे उड़ान, मिले शिक्षा वरदान, 

पाये ज्ञान-सम्मान, कला कौशल सिखाइये।।

आत्मविश्वास से विकास पथ पर रहे अजेय,

साहस, संबल स्नेह से ज्योति प्रदीप कीजिये।।

शक्ति, भक्ति, रिद्धि, सिद्धि, नवदुर्गा अवतार, 

धन पराया मान, अपमान न कदापि कीजिये।।

आत्मीयता से बांधे रखती रेशम डोर बेटियां, 

प्रेम-नेह, आशीष, दुलार छत्रछाया दिजिये।।

बिटिया बिना संसार चक्र, बाग गुलजार न होगा,

बिटिया ले आती सौभाग्य, सुख, सुकून पाइये।।

भ्रूण हत्त्या से बिगाड़ो न प्राकृतिक संतुलन,

तेजस्विनी, फूलों-सी कोमल, नारी रूप संवारिये।।

स्नेह, संयम गगरी, दया, क्षमा, करुणा मूर्ति,

माँ ममता की, अनुपम प्रभु प्रतिकृति जानिए।।

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*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८