क्षणिका तमन्ना *ब्रजेश गुप्ता 03/12/202404/12/2024 0 Comments तमन्नाओं की बस्ती इस कदर उजड़ गई एक एक तमन्ना दम तोड़ती चली गई अब न रही कोई तमन्ना न कोई तख़लीफ़