शहर के शोर से मिल रही है दस्तक
आनंद और सुख चैन से,
कौन ख़फ़ा होना चाहता है,
बहुत ही कम लोग हैं यहां,
इसकी वजह से जो रूबरू हो पाता है।
परछाइयां ढूंढती है,
कहां है मेरे हमदर्द यहां।
समझदारी से काम करने वाले लोगों को,
हरेक शख्स में,
मिल जाता है सपनों में साथ रहने की दुआ,
जो सुकून चाहते हैं,
इस जहां में यहां।
अजनबी बनकर रहना ही,
जिंदगी की सबसे बड़ी ख्वाहिश होनी चाहिए यहां,
साथ-साथ रहने वाले लोगों को,
अक्सर धोखा ही दिया जाता रहा है,
इस नासमझ दुनिया में यहां।
सीखें कड़वी हकीकत से,
जो नीम के पेड़ के हरेक कोने से मिलती है।
जवाब देते हुए,
अपना फर्ज निभाते हुए,
हर वक्त हक़ दिलाने में,
सबसे पहले खड़ा होकर,
उम्मीद बढ़ाती है।
जो तकलीफ में मरहम बनें,
उसकी गोद में खेलते हुए आगे बढना चाहिए।
नजदिकियां बढ़ाने में,
इस ख्याल पर खरा उतरने की,
हमेशा कोशिश करनी चाहिए।
— डॉ. अशोक, पटना