कविता

शहर के शोर से मिल रही है दस्तक

आनंद और सुख चैन से,
कौन ख़फ़ा होना चाहता है,
बहुत ही कम लोग हैं यहां,
इसकी वजह से जो रूबरू हो पाता है।

परछाइयां ढूंढती है,
कहां है मेरे हमदर्द यहां।
समझदारी से काम करने वाले लोगों को,
हरेक शख्स में,
मिल जाता है सपनों में साथ रहने की दुआ,
जो सुकून चाहते हैं,
इस जहां में यहां।

अजनबी बनकर रहना ही,
जिंदगी की सबसे बड़ी ख्वाहिश होनी चाहिए यहां,
साथ-साथ रहने वाले लोगों को,
अक्सर धोखा ही दिया जाता रहा है,
इस नासमझ दुनिया में यहां।

सीखें कड़वी हकीकत से,
जो नीम के पेड़ के हरेक कोने से मिलती है।
जवाब देते हुए,
अपना फर्ज निभाते हुए,
हर वक्त हक़ दिलाने में,
सबसे पहले खड़ा होकर,
उम्मीद बढ़ाती है।

जो तकलीफ में मरहम बनें,
उसकी गोद में खेलते हुए आगे बढना चाहिए।
नजदिकियां बढ़ाने में,
इस ख्याल पर खरा उतरने की,
हमेशा कोशिश करनी चाहिए।

— डॉ. अशोक, पटना

डॉ. अशोक कुमार शर्मा

पिता: स्व ० यू ०आर० शर्मा माता: स्व ० सहोदर देवी जन्म तिथि: ०७.०५.१९६० जन्मस्थान: जमशेदपुर शिक्षा: पीएचडी सम्प्रति: सेवानिवृत्त पदाधिकारी प्रकाशित कृतियां: क्षितिज - लघुकथा संग्रह, गुलदस्ता - लघुकथा संग्रह, गुलमोहर - लघुकथा संग्रह, शेफालिका - लघुकथा संग्रह, रजनीगंधा - लघुकथा संग्रह कालमेघ - लघुकथा संग्रह कुमुदिनी - लघुकथा संग्रह [ अन्तिम चरण में ] पक्षियों की एकता की शक्ति - बाल कहानी, चिंटू लोमड़ी की चालाकी - बाल कहानी, रियान कौआ की झूठी चाल - बाल कहानी, खरगोश की बुद्धिमत्ता ने शेर को सीख दी , बाल लघुकथाएं, सम्मान और पुरस्कार: काव्य गौरव सम्मान, साहित्य सेवा सम्मान, कविवर गोपाल सिंह नेपाली काव्य शिरोमणि अवार्ड, पत्राचार सम्पूर्ण: ४०१, ओम् निलय एपार्टमेंट, खेतान लेन, वेस्ट बोरिंग केनाल रोड, पटना -८००००१, बिहार। दूरभाष: ०६१२-२५५७३४७ ९००६२३८७७७ ईमेल - [email protected]