सीख
“अरे सुबह हुई है अभी बजे ही कितने है अभी तो दुकान पर कोई ग्राहक ही नहीं आया। और ये देखो आ गये भगवान के नाम पर मंगाने मुझसे। बाबा अभी बोनी नहीं हुई है ।अभी दुकान खोली है कोई ग्राहक तो आने दो। तभी तो दे पाएंगे। आप बात नहीं समझ रहे हैं। ओफ इतनी ज़िद अच्छी बात नहीं होती समझो मेरी बात। मैं आज आपको पैसे जरूर दूंगा।” सेठ आनंद ने समझाते हुए कहा।
रामनिवास – “मालिक भूख लगी है कल से कुछ नहीं खाया। कुछ तो रहम करो। पैसे नहीं दे रहे हो तो कुछ खाना ही खिला दो । भूखे का पेट भरेगा तो दुआ देगा।आपकी दुकान खूब चलेंगी। देख लेना।”
“अच्छा अच्छा ये ले बिस्कुट खा ले। तू भी क्या याद करेगा।किस सेठ से पाला पड़ा है। याद करेगा मुझे । समझा।”
“हां सेठ याद तो करूंगा। आपको जब भूख लगेगी तब क्येकि यहां बिना जरूरत के किसी कोई याद नहीं करता है।”
सेठ भी सोच में पड़ गया आज इक भिखारी भी सीख दे गया। यहां सब मतलब के लिए है, बिना मतलब के कोई किसी नहीं पूछता है।
— अभिषेक जैन