कविता

कविता – हम क्यों लिखते है

तुम्हें लिखना अच्छा लगता है
लोग अक्सर पूछने लगते है
क्या कोई दर्द दिल में है
जो भाव से बयां करते है

लिखती हूं मैं मुझे शौक है
अपने से हूबहू रोज होते है
किसी के कटु शब्द चुभते है
लिखकर खुद को हल्का करते है

लिखने से दिल के दर्द कम होते है
दूसरों की तरह हम भी रोते है
जब भाव उठते तो लेखनी चलती है
समझने के लिए यह काफी होते है

लेखनी जब चलती सच्चाई बयां करती है
कुछ अपने दिल की लिखते है
दूसरों के दिल की बात समझते है
सबके अपने अपने दुख ,दर्द है

फिर भी हम सब हंसते है
रोज लिखना आदत बन गई है
खामोशी और तन्हाई से दूर रखते है
लोगों के दिल की बात लिखते है.

— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश

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