कविता

बच्चों की फ़िक्र

यही एक सन्देश है,
प्रश्न चिन्ह नहीं है,
बल्कि उम्मीद की कोशिश है,
जिसकी वजह से ही हिम्मत जुटाई जाती है,
इस कारण से हम कह सकते हैं,
यही उपयुक्त उपदेश है।

पिता की चर्चा करते हैं लोग,
कारण से इस विषय पर,
बोलते हैं सब लोग।
पिता की खुशियां और सुकून में,
बच्चों का हक़ मिल जाता है,
यही वजह है कि सब लोग अक्सर कहते हैं,
पिता की दुआओं से ही,
बच्चों का परवरिश हमेशा,
पूरी दुनिया में किया,
सात्विक विचार से ही जाता है।

बच्चों को पढ़ाने लिखाने और उमंग और उत्साह से भरपूर कराने में,
पिता की फ़िक्र जायज़ है,
इस जहां में खुशियां भरपूर मिले,
इस कारण से,
यही बन जाती आवाज है।

बच्चों की वास्तविक दुनिया में,
पिता की उपस्थिति ही सम्राज्य है।
ईश्वर से प्रार्थना करते हैं लोग,
कहते इसे रामराज्य है।

दुनिया की हरेक कमीयों को,
पिता ही पूरी कर सकता है।
इस रिश्ते को अटूट विश्वास ने कहा है कि,
इसकी अटूट सोहबत में,
सब कुछ हासिल होना,
हमेशा सम्भव दिखता है।

— डॉ. अशोक, पटना

डॉ. अशोक कुमार शर्मा

पिता: स्व ० यू ०आर० शर्मा माता: स्व ० सहोदर देवी जन्म तिथि: ०७.०५.१९६० जन्मस्थान: जमशेदपुर शिक्षा: पीएचडी सम्प्रति: सेवानिवृत्त पदाधिकारी प्रकाशित कृतियां: क्षितिज - लघुकथा संग्रह, गुलदस्ता - लघुकथा संग्रह, गुलमोहर - लघुकथा संग्रह, शेफालिका - लघुकथा संग्रह, रजनीगंधा - लघुकथा संग्रह कालमेघ - लघुकथा संग्रह कुमुदिनी - लघुकथा संग्रह [ अन्तिम चरण में ] पक्षियों की एकता की शक्ति - बाल कहानी, चिंटू लोमड़ी की चालाकी - बाल कहानी, रियान कौआ की झूठी चाल - बाल कहानी, खरगोश की बुद्धिमत्ता ने शेर को सीख दी , बाल लघुकथाएं, सम्मान और पुरस्कार: काव्य गौरव सम्मान, साहित्य सेवा सम्मान, कविवर गोपाल सिंह नेपाली काव्य शिरोमणि अवार्ड, पत्राचार सम्पूर्ण: ४०१, ओम् निलय एपार्टमेंट, खेतान लेन, वेस्ट बोरिंग केनाल रोड, पटना -८००००१, बिहार। दूरभाष: ०६१२-२५५७३४७ ९००६२३८७७७ ईमेल - [email protected]

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