परख पारखी की खरी
परख पारखी की खरी, चुन चुन करें बखान।
कीचड़ से मोती चुने, हीरे के गुण जान।।
खोट भरा कितना कहाँ, जाने भेद सुनार।
परख पारखी ही करे, गूढ़ तत्व का सार।।
गुरु की नजरों में बसा, शिष्य कोई महान।
देता गद्दी है उसे, होता जो विद्वान।।
परख पारखी काम है, करता गूढ़ निचोड़।
बिचौलिया बन के करे, दो रिश्तों का जोड़।।
परख पारखी साध के, चुनते लीडर एक।
उस के ही आदेश से, पीछे चलें अनेक।।
परख पारखी देख के, चुनते रचनाकार।
सर्वोत्तम होता वही, जिस के उच्च विचार।।
होते खिलाड़ी एक से, रहे दंड सब पेल।
परख पारखी ही करे, किस का उत्तम खेल।।
पाप कर्म छुप के करे, बन फिरता नादान।
परख पारखी एक है, देख रहा भगवान।।
परख पारखी ही करे, चीर बाल की खाल।
कैसे बच कर जा सके, सच कहता सन्याल।।
— शिव सन्याल