कविता

सर्दी का मौसम

सर्दी का मौसम, ठंडी हवा, ऋतु मनभाये,

माँ की ममता कैसे मीठी लोरी गा पाये?

फुटपाथ पर दुबके सोये दिल के टुकडे,

कंबल ओढा आओ, मानव धर्म निभाये।।

ठिठुरती ठंड में ठिठुरे हैं सुनहरे सपने,

पेट की भूख-प्यास निगलती मीठे सपने,

आओ, पेटभर मिष्ठान्न, भोजन खिलाये,

आनंद सौरभ से जीवन बाग सजाये।।

शीत ऋतु आयी मनभावन, सुहानी,

नवास धूप की, सहेजती जिंदगानी,

देखो जीव-जन्तु, पशु-पक्षी कांप रहें,

शीत लहर की चपेट, याद आ रही नानी।।

मानव जीवन सत्कर्म से सार्थक करे,

धर्मानुरागी मन में जीव दया भाव भरे,

स्वेटर, शाॅल, कंबल, रजाई इन्हें ओढाये,

जनसेवा ही ईशसेवा, जीवन उद्धारे।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८