ऐलान
खड़े हो करके जनता बीच ये ऐलान करती हूँ
मैं भारत माँ की बेटी हूँ, तिरंगा शीश रखती हूँ
सनातन धर्म के खातिर मैं अपने प्राण भी दे दूँ
प्राण दुष्टों के हरने का भी दम हृदय में रखती हूँ
मैं भजती राम को लेकिन श्याम को दिल में रखती हूँ
मैं मर्यादा में रह कर भी, कृष्ण सा व्यूह रचती हूँ
मुझे माँ शारदे से जो मिला वरदान कविता है
उसी से मैं सनातन जागरण का काम करती हूँ।
— अनुपमा दीक्षित भारद्वाज