दौर जिंदगी का
ना जाने कैसा दौर चल रहा है जिंदगी का,
नखरा बड़ा घनघोर चल रहा है जिंदगी का।
चिकित्सा जाँच में बीमारी मिल नहीं रही है,
मुझ पर अजीब जोर चल रहा है जिंदगी का।
दर्द खत्म होने का नाम ले नहीं रहा है यारों,
लगता है अंतिम छोर चल रहा है जिंदगी का।
सब दवाईयां भी बेअसर हुई, सब हैरान हैं,
मौके की तलाश में चोर चल रहा है जिंदगी का।
“विकास” भी मस्त है अपनी जिम्मेदारियों में,
हर कदम मौत की ओर चल रहा है जिंदगी का।
— डॉ. विकास शर्मा