असम : आदिवासी और लोक साहित्य
‘असम’ शब्द के उद्भव के बारे में विद्वानों में मतभिन्नता है I कुछ विद्वानों की मान्यता है कि पहाडों और घाटियों के कारण यहाँ की भूमि सम नहीं है I इसलिए इस प्रदेश का नाम असम पड़ा I इन विद्वानों ने संस्कृत के ‘असम’ शब्द को अपनी मान्यता का आधार बनाया है I विद्वानों के एक दूसरे वर्ग का मत है कि ‘असम’ शब्द संस्कृत के ‘असोमा’ शब्द से बना है जिसका अर्थ अनुपम अथवा अद्वितीय है, परन्तु अब अधिकांश विद्वान ‘अहोम’ शब्द से असम की व्युत्पत्ति मानते हैं I लगभग छह सौ वर्षों तक यहाँ अहोम राजाओं का शासन था I इनकी मान्यता है कि अहोम शब्द ही कालांतर में टूटकर असम हो गया I जनसंख्या की दृष्टि से असम पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा प्रदेश है I यह प्रदेश अनेक संस्कृतियों का संगम स्थल है I असम में कामता, अहोम, सूतिया, कोच, भूइयां, कछारी साम्राज्यों ने शासन किया I ब्रह्मपुत्र असम की प्रमुख नदी है I विस्तार के कारण इसे नद कहा जाता है I सुवनश्री, तिस्ता, तोर्सा, लोहित, बराक आदि ब्रह्मपुत्र की उपनदियां हैं। असम के डिब्रूगढ़, तेजपुर एवं गुवाहाटी शहर ब्रह्मपुत्र के किनारे स्थित हैं । डिब्रूगढ तथा लखीमपुर जिले के बीच नद दो शाखाओं में विभक्त हो जाता है। असम में ही ब्रह्मपुत्र की दोनो शाखाएं मिलकर माजुली द्वीप का निर्माण करती हैं जिसे दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप माना जाता है। ब्रह्मपुत्र इस प्रदेश की जीवनधारा है जिसके तट पर यहाँ की सभ्यता व संस्कृति पल्लवित–पुष्पित हुई है I पर्वतमालाएं, सदाबहार वन एवं सदानीरा नदियां इसके नैसर्गिक सौन्दर्य में अभिवृद्धि करती हैं। यहाँ की शस्य–श्यामला धरती सोना उगलती है I बंगलादेशी घुसपैठ इस प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या है जिसके कारण यहाँ की जनसांख्यिकी असंतुलित होती जा रही है I पहले असम के सात जिले मुस्लिम बहुल थे, लेकिन वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार अब इस प्रदेश के नौ जिले मुस्लिम बहुल हो चुके हैं I इन जिलों की मुस्लिम आबादी में बहुत बड़ी संख्या बंगलादेशी घुसपैठियों की है जो अवैध रूप से भारत में तो आए, लेकिन यहाँ के दुर्बल नियमों का लाभ उठाकर वैध नागरिक बन गए I समय-समय पर पत्रकारों, बुद्धिजीवियों और लेखकों ने इस गंभीर समस्या की ओर सरकारों का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया, परंतु दुर्भाग्यवश सरकारें एवं राजनीतिक पार्टियां कानों में तेल डालकर सोती रहीं अथवा वोटबैंक की चिंता में इस घाव को नासूर बनने दिया I जनगणना रिपोर्ट को देखने के बाद भी यदि सरकारों और राजनैतिक पार्टियों की निद्रा भंग नहीं हुई है I प्रस्तुत पुस्तक असम के आदिवासी समाज और लोक साहित्य पर केंद्रित है I इस पुस्तक में असम के लोक साहित्य का गंभीर विश्लेषण किया गया है I
पुस्तक-असम : आदिवासी और लोकसाहित्य
लेखक-वीरेन्द्र परमार
प्रकाशक-हंस प्रकाशन, दरियागंज, नई दिल्ली
वर्ष-2022
मूल्य-695/-