नायक
नायक सिर्फ वहीं नहीं है जो
तीन घंटे की आभासी चित्रों में दिखे,
नायक वो होता है जो
सबको अपने कार्य से झुका देता है,
सबको अपना बना लेता है,
हमारा सबसे बड़ा नायक बुद्ध था,
जो सच में शुद्ध व प्रबुद्ध था,
हमारा एक और नायक है ज्योति बा,
जो एक धधकता आग था,
स्त्री शिक्षा के लिए जलता चिराग था,
हमारा एक और नायक सावित्री बाई थी,
जुल्म ज्यादती सह शिक्षा की अलख जगाई थी,
बहुजनों के एक नायक कबीर थे,
मस्तिष्क को झिंझोड़ने वाले फकीर थे,
जाति पर प्रहार करता नायक रैदास था,
जिस पर राजाओं का भी विश्वास था,
दक्षिण के नायक पेरियार थे,
जिनके पास अंधविश्वास पाखंडों पर
कड़ा प्रहार करने वाले तर्क रूपी हथियार थे,
सबसे बड़ा नायक तो बाबा साहेब है
जिसने मानवता पर आधारित विधान दिया,
हर नागरिक समान कहता संविधान दिया,
हमारा एक और नायक कांशीराम है,
राजनीतिक जागरूकता फैला जिसने
वंचितों को पकड़ाया लगाम है,
नायकों को फिल्मों क्रिकेट में मत खोजो,
वास्तविक कौन है ध्यान लगा सोचो।
— राजेन्द्र लाहिरी