पर्यावरण की संरक्षण में एक शिक्षक की भूमिका
“आओ पर्यावरण बचाएं अपना जीवन बेहतर बनाएं।”
इन पंक्तियों के साथ- पर्यावरण की संरक्षण में एक शिक्षक की भूमिका अपने आप में बहुत महत्व रखता है।पर्यावरण के साथ में संरक्षण और इस पर शिक्षक की भूमिका।वास्ताव में एक शिक्षक ही है जो अपने अध्यापन के दौरान बच्चों में पर्यावरण के प्रति सही मायने में जागरूकता के बीज बो सकता है।और इसीलिए कहा भी गया है-
“पेड़-पौधे मत करो नष्ट, सांस लेने में होगा कष्ट।”
यह भी सच है कि-
“एक शिक्षक प्राथमिक स्तर से इसकी शुरुआत करदे तो बच्चों में पर्यावरण के प्रति समझ
उसके प्रति लगाव और उसके संरक्षण के बारे में सोंचना शुरु कर देगा।”
यह कहा जाता है कि किसी कार्य को यदि शुरुआत नीव से की जाय तो वह सफल भी होती है।और इसका सबसे बढ़िहा माध्यम प्रथमिक स्तर अर्थात प्राथमिक शाला से किया जाय तो इसके बहुत सार्थक परिणाम सामने आएंगे,इसमें कोई दो राय नही। अब यह प्रश्न उठता है कि आखिर में इसकी शुरुआत प्राथमिक स्तर या शाला से क्यों? तो इसका उत्तर यही है कि यहीं से बच्चे अपने आप को गढ़ पाते हैं,अपने आप को बना पाते हैं,अपने आसपास को समझ पाते हैं।जो जीवन भर चलता है।और ये बच्चे उसी के अनुरूप ढल पाते हैं।
शिक्षक एक बालक को यहीं से भावी और सभ्य नागरिक बनाने में अपना अच्छा समय दे पाता है।जहाँ पर शिक्षा के साथ साथ संस्कार,मर्यादा,नैतिकता,जीवन जीने की कला को सिखता है।
महात्मा गाँधी ने कहा भी था-
“शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से
बच्चों में शारीरिक,मानसिक,और आध्यात्मिक गुणों
का सर्वाँगीण गुणों का विकास होता है।”
अब यह समझना जरूरी होगा कि आखिर यह पर्यावरण है क्या?
पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है “परि+आवरण।”
जिसका शाब्दिक अर्थ है “पर्यावरण”।कुछ इस प्रकार से भी समझा जा सकता है कि हमारे आसपास जो एक आवरण जो ढका हुआ है वही पर्यावरण है।जिसमें पर्वत पठार जंगल नदिया जीव-
जन्तु अर्थात प्रकृति अर्थात धरती आसमान।अर्थात क्षिती जल पावक गगन समीर।अब बात करते हैं संरक्षण की,तो इसका तात्पर्य है-
“किसी प्राकृतिक संसाधन का सावधानीपूर्वक उपयोग, ताकि उसका क्षरण रोका जा सके।”
अर्थात “सुरक्षा,देखभाल,पालन-पोषण।”
तो अब यह प्रश्न उठता है कि हम किसकी संरक्षण करें जो भूत भविष्य और वर्तमान में हमारे लिए वरदान साबित हो।तो इसका उत्तर यह है कि-
“पर्यावरण का।”
पर्यावरण की सुरक्षा से ही पुरी धरती की सुरक्षा है।
यही हम सबके भविष्य के लिए वरदान है।इसके नुकसान से पुरी धरती अन्धकारमय है।इसके नुक्सान से हम उज्ज्वल और सुखमय जीवन की कल्पना नही कर सकते।क्योंकि यह पर्यावरण,यह प्रकृति मानव निर्मित एक परिवेश है,वातावरण है।
जो इस धरती पर जीवन को बरकरार रखने में अपनी महती भूमिका प्रदान करते हैं।इसीलिए यह कहा जाता है-
“पर्यावरण की करो रक्षा, पहले दो बच्चों को ये शिक्षा।”
अब बात आती है शिक्षक की, तो यह कौन है? शिक्षक हम किसे कहेंगे?शिक्षक की संज्ञा हम किसे देंगे?
शिक्षक की परिभाषा-
मेरे अनुसार-
“शिक्षक वह है जो ज्ञान बांटे।और ऐसा ज्ञान जिसमें संस्कार हो,मर्यादा हो,नैतिकता हो।”
शिक्षक शब्द का अर्थ-
शिक्षक का अर्थ अंग्रेजी में-teachmint
इसके अलावा-
शिक्षक शब्द “प्रोटो जर्मनिक शब्द ताईकीजन” से जुड़ी है जिसका अर्थ है दिखाना।यह शब्द पुरानी अंग्रेजी में टेकन के रूप में आया जिसका अर्थ है “दिखाना”,”प्रदर्शित करना”,”इंगित करना”, या फिर “निर्देश देना।”
शिक्षक का महत्व-
शिक्षक व्यवस्थित तरीके से पढ़ाता है।जिसके लिए वह पूर्व से तैयारी करता है।एक अच्छा शिक्षक अपने छात्रों को कक्षा कार्य,गृह कार्य देता है,और अच्छे अभ्यास के लिए नियमित रूप से उसका मुलयाँकन भी करता है।
शिक्षक की भूमिकाएँ-
1.कुशल प्रबंधक के रूप में,
2.योजना बनाना,
3.व्यवस्था करना,
4.नेतृत्व करना,
5.नियंत्रण करना,
6.एक मनोवैज्ञानिक के रूप में,
7.अनुदेशक के रूप में अनुसंधानकर्ता के रूप में 8.मार्गदर्शक एवं परामर्शदाता के रूप में,
9.समन्वयक के रूप में,उपरोक्त गुण वाला शिक्षक ही पर्यावरण संरक्षण की अच्छी शिक्षा दे सकता है।
अब बात करते हैं मुख्य विषय “पर्यावरण” पर जिसके इर्द-गिर्द हमारा पूरा जीवन निर्भर रहता है। इस पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए,संरक्षण के लिए,जन-जागरूकता के लिए प्रतिवर्ष 05 जून को मनाया जाता है।ताकि हम इसके महत्व,और उपयोगिता को समझ सके।वैसे तो
पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाने का विशेष उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संरक्षण,उसकी उपयोगिता और महत्व को बताना है।इस दिवस को मनाने के लिए यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि-
“यह दिवस न सिर्फ लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का काम करता है, बल्कि हमें प्रेरित करता है कि हम अपने रोजमर्रा के जीवन में पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और जिम्मेदार कदम उठाएं। इस दिवस को मनाने का फैसला सन 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा स्टॉकहोम सम्मेलन में किया गया था।”
तब लेकर प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। ऐसे अवसर पर चित्रकला,रैलियाँ,स्लोगन लेखन,चर्चा-परिचर्चा,गोष्ठियाँ आदि का आयोजन किया जाता है।इसके दिवस मनाने के साथ साथ इसके संरक्षण का एक अधिनियम भी बनाया गया है जिसको 1986 पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम कहा जाता है।इस कड़ी में इस विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया जिसका थीम था-
“भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखे के प्रति लचीलापन है।जिसका नारा है- “हमारी भूमि। हमारा भविष्य।” हम हैं।”
अंत में हम बात करते हैं पर्यावरण में शिक्षक की क्या भूमिका हो सकती है,शिक्षक अपने किन किन कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों का निर्वहन कर सकता है।
1.एक पर्यावरण शिक्षक के रूप में-
एक पर्यावरण शिक्षक के रूप में वह बच्चों को प्रदूषण और प्रदूषकों के विषय में बहुत अच्छी जानकारी प्रदान कर सकता है।
2.एक रोल मॉडल और मार्गदर्शक के रूप में-
एक शिक्षक बच्चों का रोल मॉडल होता है,वह बच्चों
में आत्मविश्वास,और सकारात्मक भवनाओं को भरते हुए पर्यावरण के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है।
3.प्राथमिक शाला और शिक्षक की भूमिका-
प्राथमिक शाला से ही एक शिक्षक नाना प्रकार के रचनातमक गतिविधियां करा सकता है।जो पर्यावरण से संबंधित हो।जो उच्च कक्षाओं तक चलता रहे।जैसे प्रायोजना कार्य,चित्रकला,जनचेतना
रैली आदि।इसके अलावा इस पर महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों की सफलता की कहानी का उदाहरण दे के छात्रों को प्रेरित कियांजावसकता है।
4.एक शिक्षक पर्यावरण संरक्षक के रूप में-
एक शिक्षक शाला में आसपास में और जन समाज में एक संरक्षक रूप में सामने आए,जो यह दिखा सके कि वह पर्यावरण के सच्चे सेवक और संरक्षक हैं। इसके लिए यह आवश्यक है कि वह शिक्षक सबसे पहले स्वयं आगे आए।और बच्चों को आगे आने के लिए प्रोत्साहित करे।यह शिक्षक बच्चों में ऐसा बीज बोये कि आने वाले भविष्य में ये बच्चे पर्यावरण को सहेजने में सबसे बड़े विशाल वृक्ष तरह सामने आए।
5.एक शिक्षक पारिस्थितिक मुद्दों को समझाने और आवश्यक कौशल,योग्यता विकसित करने में सहायक-
एक शिक्षक ही इस पारिस्थितिक मुद्दों को भलिभाँती समझा पाने में सफल हो सकता है।वह इस बात से अवगत करा सकता है कि प्रकृति का हर जीव एक दूसरे पर निर्भर है,अर्थात वे अन्योन्याश्रित में इसी से प्रकृति में संतुलन बना रहता है।
इसके अलावा यह शिक्षक,बच्चों में उस पारिस्थितिक तंत्र को समझने के लिए आवश्यक कौशल और योग्यता का निर्माण कर सकता है।
6.एक शिक्षक पर्यावरण संरक्षण का मार्गदर्शक के रूप में-
पर्यावरण संरक्षण में एक शिक्षक की भूमिका अहम मानी जा सकती है।वह बच्चों को पर्यावरण के हर घटक के बारे में विशेष जानकारी प्रदान कर सकता है।और फिर इसका कैसे संरक्षण करना है उसके तरीके भी बता सकता है।इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रोत्साहित करना,जागरूक पैदा करना,इसके नुकसान से होने वाले दुर्गामी परिणाम से अवगत कराना
पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदार एक नागरिक बनाने हेतु मार्गदर्शन करना आदि हो सकता है।अंत में यही कहा जा सकता है कि-
“जब रखेंगे पर्यावरण का ध्यान, तभी बनेगा हमारा देश महान।”
— अशोक पटेल “आशु”