कुण्डली/छंद

मनहरण छंद 

साजन हमराह हो,

सावन की फुहार हो, 

जीवन में प्रेम रस,

बूंद-बूंद भरिए।।

मीत प्रियतम साथ,

ऊँचा-नीचा भले पथ,

कंटक बनेंगे फूल,

हाथ आप थामिए।।

परिवार एक छत्र,

सेवा भाव, स्नेह सूत्र,

अपनों में प्रेम बंध,

मीठे बोल बोलिए।।

सुख-दुःख आते-जाते,

चले हम मुस्कुराते,

प्रेम पुष्प सुरभित,

स्नेह छाँव दीजिए।। 

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८

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