मैं नहीं जाने वाला
वाह हहहहहहह! जनाब
आपका भी जवाब नहीं,
एक तो आप खुद ‘मैं’ से दूर भी नहीं होना चाहते
और ‘मैं’ से ही जाने के लिए भी कह रहे हैं,
ऐसा करके आखिर किसे बेवकूफ बना रहे हैं?
या अपने ही ‘मैं’ को गुमराह कर रहे हैं।
जो भी हो पर आप चाहे जितनी कोशिश कर लो
‘मैं’ कहीं नहीं जाने वाला।
वैसे भी अभी क्या कम बदनाम हूँ?
फिर जाने का विचार कर लूँ, क्या ‘मैं’ बेवकूफ हूँ?
और यदि ऐसा कर भी लूँ तो क्या आप मुझे जाने देंगे?
क्योंकि आप भी तो नहीं चाहते कि मैं जाऊँ,
इसी में तो आप का अभिमान, स्वाभिमान, सम्मान है
जिसे आप धूमिल भी नहीं करना चाहते
‘मैं’ से एक पल के लिए भी दूर नहीं रहना चाहते।
तो मैं भी आपसे कब दूर होने की सोच रहा हूँ
वैसे ही मैं ही तो आपके जीवन का बूस्टर डोज हूँ,
जिससे आप चाहकर भी दूर नहीं हो सकते
फिर भला आप ये सोच भी कैसे सकते?
जब यहाँ हर किसी को ‘मैं’ का गुमान है,
कोई किसी से खुद को कम भी तो नहीं समझता।
तब भला मुझे ही क्या पड़ी है
जो मैं खुद ही अपने पैर में कुल्हाड़ी मारूँ
और आप से दूर हो जाऊँ,
और ‘मैं’ का अस्तित्व मिटाने का
खुद ही गुनाहगार बन जाऊँ,
नाहक ही और बदनाम हो जाऊँ
आप सबसे मिल रहे प्यार, दुलार, अपनत्व से
सदा के लिए वंचित हो जाऊँ,
‘मैं’ का मान, सम्मान, स्वाभिमान घोंटकर पी जाऊँ,
और सदा के लिए इतिहास बन जाऊँ।