क्षणिकएँ
मैं जो भी हूँ
कैसा भी हूँ
तुम्हारी नज़रों से
खुद को क्यों परखूं
मुझे परखना है खुद को
खुद की नज़रों से
परख कर
फिर तराशना है
खुद को
मैं जो भी हूँ
कैसा भी हूँ
तुम्हारी नज़रों से
खुद को क्यों परखूं
मुझे परखना है खुद को
खुद की नज़रों से
परख कर
फिर तराशना है
खुद को