कविता

सत् चित् आनंद

अज्ञानता, अहंकार का पर्दा हटा लो,
गुरु से जीवन का मार्गदर्शन पा लो,
ज्ञान का अलौकिक शक्ति पुंज जगा,
अपने सपनों को यूं सजीव बना लो ।

नफरतों की कालिमा को मिटा लो,
मन को एकबार देवालय बना लो,
नित्य साधना से दिव्यता को जगा,
सुख, समृद्धि, और शांति पा लो ।

सभी अवगुणों को पूर्णत: त्याग दो,
सदाचार, धर्म व प्रेम को अपना लो,
भीतर मानवता का अद्भुत भाव जगा,
अनंत ईश्वर कृपा अमृत को पा लो ।

अपनी कलुषता को पूरा मिटा लो,
पवित्रता से दिल को मंदिर बना लो,
जीवन में प्रेममय मधुर संगीत जगा,
अथाह खुशियों का खजाना पा लो ।

परोपकार, उदारता को अपना लो,
वाणी को मीठी और सरस बना लो,
क्षमा दान का उच्चतम सुख जगा,
सत् चित् “आनंद” निधि को पा लो ।

— मोनिका डागा “आनंद”

मोनिका डागा 'आनंद'

चेन्नई, तमिलनाडु

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