डिफॉल्ट

दो लघुकथाएं

बच्चों के लिए…(लघुकथा)

घर में पिछले दिन से न आटा था और न ही कुछ और था खाने के लिए ।

मुफलिसी के दिन थे । छोटे-छोटे दो बच्चे और पत्नी थी ।

खुद के समेत चार जनों के लिए रोज रोटी तैयार करना खाला जी का बाड़ा नहीं था ।

यूं तो गांव में रहते थे लेकिन घर के अलावा इंच भर जमीन नहीं थी ।

पिछले कई दिनों से उसकी दिहाड़ी नहीं लग रही थी । फिर भी परिवार के लिए रोटी का जुगाड़ करना तो उसका ही दायित्व था ।

उस जमाने में मिट्टी के बर्तन हुआ करते थे, जिसे पहाड़ी में पारू कहते थे । 

वह पारू लेकर दूसरे गांव चला गया । वहां से उसने लस्सी व कुछ आटा मांगा ।

आटा व लस्सी लेकर जैसे ही  वह वापस घर आ रहा था रास्ते में रीछ ने उस पर हमला कर दिया। 

उसने जोर-जोर से आवाजें दीं।गांव के लोग इकट्ठा हो गए।

रीछ उसे छोड़कर भाग गया। 

वह लहू लोहान हुआ रीछ के हमले से बहुत बुरी तरह घबरा गया था ।

उसके चेहरे पर आईं  खरोंचें व उसकी घबराहट देख कर सभी गांव वाले उसके साथ संवेदना प्रकट कर रहे थे और उसे हौसला दे रहे थे ।

 कुछ देर बाद जैसे ही उसकी घबराहट कम हुई।

उसे घर में बैठे भूखे बच्चों का ख्याल आया। उसने इधर-उधर देखा उसे अपनी लस्सी का बर्तन  व आटा कहीं नजर नहीं आया ।

वह फूट-फूट कर रोने लगा ।

उसने कहा -“मेरा लस्सी का पारू व आटा ?” 

तब भीड़ में से किसी ने कहा-” मैंने तुम्हारा  पारू व आटा उठाकर संभाल लिया है । लो यह रहा तुम्हारा आटा व लस्सी का बर्तन…।

वह रीछ की दी  खरोंचों का दर्द भूल गया ।

उसकी आंखों में उसके बच्चे रोटी खाते हुए तिरने लगे थे।

****अशोक दर्द  17-11-2024

डलहौजी चंबा हिमाचल प्रदेश

छद्म (लघुकथा)

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शहर के नेता नरेश भान ने शाम को अपने दोनों बेटों को बुलाकर कहा-” कल के बंद की अगुवाई करने का जिम्मा संगठन ने मुझे सौंपा है।

 कल हम सुबह 11:00 बजे चौक से इकट्ठे होकर जुलूस का आयोजन करेंगे और फिर जुलूस शहर की गलियों से गुजरता हुआ डी सी कार्यालय में मांग पत्र के साथ संपन्न होगा।”

इसके बीच भीड़ उग्र हो गई तो..?युवा बेटे ने कहा ।

“तब वहीं जुलूस खत्म समझो।

 गिरफ्तारियां होंगी हम नेता हैं और हम गिरफ्तार हो जाएंगे। नेता ने मुस्कुरा कर जवाब दिया ।

परंतु आप दोनों इस शहर में नहीं रहेंगे । आप दोनों कल दूसरे शहर चले जाएंगे। 

कल को आपका करियर भी तो देखना है। कहीं अरेस्ट-वेस्ट हो गए तो दिक्कत हो जाती है।

हर जगह करेक्टर प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ती है ।

अच्छे करियर के लिए पुलिस में कोई केस नहीं होना चाहिए।” दोनों बेटे अपने पिता की बात मानकर दूसरे शहर चले गए ।

दूसरे दिन सुबह जुलूस निकला।

नेताजी के साथ जुलूस वाली शाम तक कई युवा गिरफ्तार हो गए थे ।

उनमें बहुत से युवा पढ़े-लिखे डिग्री धारक थे । सैंकड़ों युवाओं के साथ गिरफ्तार नेताजी का जोश देखते ही बन रहा था ।

वह युवाओं से अपने हक के लिए मर मिटने का आह्वान कर रहे थे …।

मानो उनका यह आह्वान अपने बेटों के भविष्य के लिए ही हो…।

अशोक दर्द 

अशोक दर्द

जन्म –तिथि - 23- 04 – 1966 माता- श्रीमती रोशनी पिता --- श्री भगत राम पत्नी –श्रीमती आशा [गृहिणी ] संतान -- पुत्री डा. शबनम ठाकुर ,पुत्र इंजि. शुभम ठाकुर शिक्षा – शास्त्री , प्रभाकर ,जे बी टी ,एम ए [हिंदी ] बी एड भाषा ज्ञान --- हिंदी ,अंग्रेजी ,संस्कृत व्यवसाय – राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में हिंदी अध्यापक जन्म-स्थान-गावं घट्ट (टप्पर) डा. शेरपुर ,तहसील डलहौज़ी जिला चम्बा (हि.प्र ] लेखन विधाएं –कविता , कहानी , व लघुकथा प्रकाशित कृतियाँ – अंजुरी भर शब्द [कविता संग्रह ] व लगभग बीस राष्ट्रिय काव्य संग्रहों में कविता लेखन | सम्पादन --- मेरे पहाड़ में [कविता संग्रह ] विद्यालय की पत्रिका बुरांस में सम्पादन सहयोग | प्रसारण ----दूरदर्शन शिमला व आकाशवाणी शिमला व धर्मशाला से रचना प्रसारण | सम्मान----- हिमाचल प्रदेश राज्य पत्रकार महासंघ द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए पुरस्कृत , हिमाचल प्रदेश सिमौर कला संगम द्वारा लोक साहित्य के लिए आचार्य विशिष्ठ पुरस्कार २०१४ , सामाजिक आक्रोश द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता में देशभक्ति लघुकथा को द्वितीय पुरस्कार | इनके आलावा कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित | अन्य ---इरावती साहित्य एवं कला मंच बनीखेत का अध्यक्ष [मंच के द्वारा कई अन्तर्राज्यीय सम्मेलनों का आयोजन | सम्प्रति पता –अशोक ‘दर्द’ प्रवास कुटीर,गावं व डाकघर-बनीखेत तह. डलहौज़ी जि. चम्बा स्थायी पता ----गाँव घट्ट डाकघर बनीखेत जिला चंबा [हिमाचल प्रदेश ] मो .09418248262 , ई मेल --- [email protected]

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